Jokes for Topic: Social
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#1715 | Social (सामाजिक)
अगर सुबह जल्दी उठने से
ताक़त, बुद्धि और धन बढ़ता –
तो पेपर वाला और दूध वाला सबसे ज्यादा अमीर होते।
सोते रहें और जीवन का आनंद लें।
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ताक़त, बुद्धि और धन बढ़ता –
तो पेपर वाला और दूध वाला सबसे ज्यादा अमीर होते।
सोते रहें और जीवन का आनंद लें।
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#1629 | Social (सामाजिक)
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर ना
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महा
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर ना
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महा
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
#1627 | Social (सामाजिक)
एक आदमी ने देखा की एक गरीब बच्चा उस की कीमती कार को निहार रहा है।
उसे रहम आ गया और उसने उस बच्चे को अपनी कार में बैठा लिया।
बच्चा : आपकी कार बहुत महंगी है ना.?
आदमी : हाँ। मेरे बड़े भाई ने मुझे उपहार में दी है।
बच्चा : आपके बड़े भाई कितने अच्छे आदमी हैं।
आदमी: मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो। तुम भी ऐसी कार चाहते हो ना.?
बच्चा: नहीं, मै भी आपके बड़े भाई जैसा बनना चाहता हूँ। मेरे भी छोटे भाई बहन हैं ना..।
उसे रहम आ गया और उसने उस बच्चे को अपनी कार में बैठा लिया।
बच्चा : आपकी कार बहुत महंगी है ना.?
आदमी : हाँ। मेरे बड़े भाई ने मुझे उपहार में दी है।
बच्चा : आपके बड़े भाई कितने अच्छे आदमी हैं।
आदमी: मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो। तुम भी ऐसी कार चाहते हो ना.?
बच्चा: नहीं, मै भी आपके बड़े भाई जैसा बनना चाहता हूँ। मेरे भी छोटे भाई बहन हैं ना..।
#1596 | Social (सामाजिक)
“बुद्धी” का उपयोग करनेवाले जापान में…
603 किमी./घंटा रफ्तार वाली ट्रैन के बाद,
7G की टेस्टिंग शुरू हो चुकी है…
और इंडिया में “पढ़े-लिखे” लोग
Whatsapp पर 11 लोगों को “ॐ नम: शिवाय:” भेजकर
फ्री बैलेंस और चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं।।
और तो और नही भेजा तो
अप्रिय घटना की चेतावनी ओर दे देते है !
603 किमी./घंटा रफ्तार वाली ट्रैन के बाद,
7G की टेस्टिंग शुरू हो चुकी है…
और इंडिया में “पढ़े-लिखे” लोग
Whatsapp पर 11 लोगों को “ॐ नम: शिवाय:” भेजकर
फ्री बैलेंस और चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं।।
और तो और नही भेजा तो
अप्रिय घटना की चेतावनी ओर दे देते है !
#1365 | Social (सामाजिक)
मदद करना सीखिये
फायदे के बगैर
मिलना जुलना सीखिये
मतलब के बगैर
जिन्दगी जीना सीखिये
दिखावे के बगैर
और
मुस्कुराना सीखिये
सेल्फी के बगैर!
फायदे के बगैर
मिलना जुलना सीखिये
मतलब के बगैर
जिन्दगी जीना सीखिये
दिखावे के बगैर
और
मुस्कुराना सीखिये
सेल्फी के बगैर!
#1258 | Social (सामाजिक)
BCCI ने ऐलान किया है कि हार्दिक पांड्या प्लेन से आएगा बाकी के खिलाड़ी ट्रेन से आए
और
रविन्द्र जडेजा पैदल आएगा !!
और
रविन्द्र जडेजा पैदल आएगा !!
#1252 | Social (सामाजिक)
न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है, इसलिए…
अगर आप भगवान् को रोज “दीया – बत्ती” नहीं करेंगे,
तो भगवान् आपको रोज़ “बत्ती – दिया” करेंगे ।
अगर आप भगवान् को रोज “दीया – बत्ती” नहीं करेंगे,
तो भगवान् आपको रोज़ “बत्ती – दिया” करेंगे ।
#1251 | Social (सामाजिक)
Motivational Message –
व्यायाम करना, शराब न पीना, शाकाहारी होना आपकी उम्र में कुछ और साल तो जोड़ सकता है,
पर ध्यान रहे, ये साल आपके
बुढ़ापे के जुड़ेंगे ना की जवानी के…!!
व्यायाम करना, शराब न पीना, शाकाहारी होना आपकी उम्र में कुछ और साल तो जोड़ सकता है,
पर ध्यान रहे, ये साल आपके
बुढ़ापे के जुड़ेंगे ना की जवानी के…!!
#1218 | Social (सामाजिक)
नींद नही आती रात को
चैन नही आता दिन को
मैने पूछा रब से – क्या यही प्यार है ?
रब ने कहा:
नही बेटा – बाल काटने वाले आये हुए ह सबका यही हाल ह
चैन नही आता दिन को
मैने पूछा रब से – क्या यही प्यार है ?
रब ने कहा:
नही बेटा – बाल काटने वाले आये हुए ह सबका यही हाल ह
#885 | Social (सामाजिक)
ग्वार फली ₹100 किलो…
सोचो,
पढी लिखी होती तो…
कितना भाव खाती।
———–
काली मिर्च ₹1000 में एक किलो
सोचो
अगर
गोरी होती तो…
कितना भाव खाती…. 😉
———–
हमने तो
अब सोचना ही छोड़ दिया,
जब से
विद्या बालन कहने लगी है
की…
“जहां सोच वहा शौचालय !”
सोचो,
पढी लिखी होती तो…
कितना भाव खाती।
———–
काली मिर्च ₹1000 में एक किलो
सोचो
अगर
गोरी होती तो…
कितना भाव खाती…. 😉
———–
हमने तो
अब सोचना ही छोड़ दिया,
जब से
विद्या बालन कहने लगी है
की…
“जहां सोच वहा शौचालय !”
#760 | Social (सामाजिक)
Pahla Dog : Yar mere malik ne kal rat ke 3 baje chor ko pakadh liya
Dusara Kutta : Tu kya kar taha uss time
Pahle kutta : Mai to so raha tha
ab hum insan thodhi hai jo raat-raat bhar whatsapp chalaye
Dusara Kutta : Tu kya kar taha uss time
Pahle kutta : Mai to so raha tha
ab hum insan thodhi hai jo raat-raat bhar whatsapp chalaye
#754 | Social (सामाजिक)
Rajinikant ne apni ‘nursery’ ki
Padhi 7 alag-alag jagaho se ki thi.
Aaj wo jagah IIT ke nam se jani jati hai.ff
Padhi 7 alag-alag jagaho se ki thi.
Aaj wo jagah IIT ke nam se jani jati hai.ff
#753 | Social (सामाजिक)
Rajinikanth ek din subah jaldi uthe aur
Socha mujhe apne gayan ka 1 % hissa logo
Ke sath to share karna hi chahiye
Aur isi ke bad google ka aaviskar hua
Socha mujhe apne gayan ka 1 % hissa logo
Ke sath to share karna hi chahiye
Aur isi ke bad google ka aaviskar hua
#723 | Social (सामाजिक)
How To Call An urgent Family Meeting In 3 Easy Steps:
1. Go to the Wi Fi router
2. Turn it Off
3. Wait in that Room !!
1. Go to the Wi Fi router
2. Turn it Off
3. Wait in that Room !!
#720 | Social (सामाजिक)
मै बोलया
इब तु reply नी करदी के बात होइ
वा बोली यार तू तो जमा देशी sms
बेजअ है
इसकी बेबे क इब sms भी adidas और nick
के कीत त लयाउ
इब तु reply नी करदी के बात होइ
वा बोली यार तू तो जमा देशी sms
बेजअ है
इसकी बेबे क इब sms भी adidas और nick
के कीत त लयाउ
#470 | Social (सामाजिक)
एक व्यक्ति ने अपने
Facebook status में लिखा-
' बीवी चाहिए '
5 लड़कियों ने इसे Like किया और
1500 लोगों ने Comment किया
'मेरी लेजा यार ...'
जवाब में उस व्यक्ति ने लिखा-
'मांग नहीं रहा कमीनो....
... पूछ रहा हूँ '
बीवी चाहिए ?
Facebook status में लिखा-
' बीवी चाहिए '
5 लड़कियों ने इसे Like किया और
1500 लोगों ने Comment किया
'मेरी लेजा यार ...'
जवाब में उस व्यक्ति ने लिखा-
'मांग नहीं रहा कमीनो....
... पूछ रहा हूँ '
बीवी चाहिए ?
#419 | Social (सामाजिक)
एक प्राचीन मंदिर की छत पर कुछ कबूतर राजीखुशी रहते थे।जब वार्षिकोत्सव की तैयारी के लिये मंदिर का जीर्णोद्धार होने लगा तब कबूतरों को मंदिर छोड़कर पास के चर्च में जाना पड़ा।
चर्च के ऊपर रहने वाले कबूतर भी नये कबूतरों के साथ राजीखुशी रहने लगे।
क्रिसमस नज़दीक था तो चर्च का भी रंगरोगन शुरू हो गया।अत: सभी कबूतरों को जाना पड़ा नये ठिकाने की तलाश में।
किस्मत से पास के एक मस्जिद में उन्हे जगह मिल गयी और मस्जिद में रहने वाले कबूतरों ने उनका खुशी-खुशी स्वागत किया।
रमज़ान का समय था मस्जिद की साफसफाई भी शुरू हो गयी तो सभी कबूतर वापस उसी प्राचीन मंदिर की छत पर आ गये।
एक दिन मंदिर की छत पर बैठे कबूतरों ने देखा कि नीचे चौक में धार्मिक उन्माद एवं दंगे हो गये।
छोटे से कबूतर ने अपनी माँ से पूछा ' माँ ये कौन लोग हैं ?'
माँ ने कहा ' ये मनुष्य हैं'।
छोटे कबूतर ने कहा ' माँ ये लोग आपस में लड़ क्यों रहे हैं ?'
माँ ने कहा ' जो मनुष्य मंदिर जाते हैं वो हिन्दू कहलाते हैं, चर्च जाने वाले ईसाई और मस्जिद जाने वाले मनुष्य मुस्लिम कहलाते हैं।'
छोटा कबूतर बोला ' माँ एसा क्यों ? जब हम मंदिर में थे तब हम कबूतर कहलाते थे, चर्च में गये तब भी कबूतर कहलाते थे और जब मस्जिद में गये तब भी कबूतर कहलाते थे, इसी तरह यह लोग भी मनुष्य कहलाने चाहिये चाहे कहीं भी जायें।'
माँ बोली ' मेनें, तुमने और हमारे साथी कबूतरों ने उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव किया है इसलिये हम इतनी ऊंचाई पर शांतिपूर्वक रहते हैं।
इन लोगों को उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव होना बाकी है , इसलिये यह लोग हमसे नीचे रहते हैं और आपस में दंगे फसाद करते हैं।'
बात छोटी सी है, पर मनन करने योग्य है ।
चर्च के ऊपर रहने वाले कबूतर भी नये कबूतरों के साथ राजीखुशी रहने लगे।
क्रिसमस नज़दीक था तो चर्च का भी रंगरोगन शुरू हो गया।अत: सभी कबूतरों को जाना पड़ा नये ठिकाने की तलाश में।
किस्मत से पास के एक मस्जिद में उन्हे जगह मिल गयी और मस्जिद में रहने वाले कबूतरों ने उनका खुशी-खुशी स्वागत किया।
रमज़ान का समय था मस्जिद की साफसफाई भी शुरू हो गयी तो सभी कबूतर वापस उसी प्राचीन मंदिर की छत पर आ गये।
एक दिन मंदिर की छत पर बैठे कबूतरों ने देखा कि नीचे चौक में धार्मिक उन्माद एवं दंगे हो गये।
छोटे से कबूतर ने अपनी माँ से पूछा ' माँ ये कौन लोग हैं ?'
माँ ने कहा ' ये मनुष्य हैं'।
छोटे कबूतर ने कहा ' माँ ये लोग आपस में लड़ क्यों रहे हैं ?'
माँ ने कहा ' जो मनुष्य मंदिर जाते हैं वो हिन्दू कहलाते हैं, चर्च जाने वाले ईसाई और मस्जिद जाने वाले मनुष्य मुस्लिम कहलाते हैं।'
छोटा कबूतर बोला ' माँ एसा क्यों ? जब हम मंदिर में थे तब हम कबूतर कहलाते थे, चर्च में गये तब भी कबूतर कहलाते थे और जब मस्जिद में गये तब भी कबूतर कहलाते थे, इसी तरह यह लोग भी मनुष्य कहलाने चाहिये चाहे कहीं भी जायें।'
माँ बोली ' मेनें, तुमने और हमारे साथी कबूतरों ने उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव किया है इसलिये हम इतनी ऊंचाई पर शांतिपूर्वक रहते हैं।
इन लोगों को उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव होना बाकी है , इसलिये यह लोग हमसे नीचे रहते हैं और आपस में दंगे फसाद करते हैं।'
बात छोटी सी है, पर मनन करने योग्य है ।
#416 | Social (सामाजिक)
एडमिन ने अमरुद लिए तो उसमें से कीड़ा निकला।
एडमिन अमरुद वाले से: इसमें तो कीड़ा है।
अमरुद वाला: ये किस्मत की बात है, क्या पता अगली बार
मोटरसाइकिल निकल जाए।
एडमिन: 2 किलो दे दो।😛😀
एडमिन अमरुद वाले से: इसमें तो कीड़ा है।
अमरुद वाला: ये किस्मत की बात है, क्या पता अगली बार
मोटरसाइकिल निकल जाए।
एडमिन: 2 किलो दे दो।😛😀
#415 | Social (सामाजिक)
कभी किसी ने ये सोचा के दवाई की गोली का पैकेट 10 गोली का ही क्यूँ होता है ???
जानकारी के लिए बता दूँ..
यह प्रथा रावण को सरदर्द हुआ तब उसी ने चालू करवायी थी .. 😝😂
जानकारी के लिए बता दूँ..
यह प्रथा रावण को सरदर्द हुआ तब उसी ने चालू करवायी थी .. 😝😂
#400 | Social (सामाजिक)
गधे और कुत्ते का मैनेजमेंट फंडा :
एक रात जब पूरी दुनिया सो रही थी, तभी एक धोबी के घर में एक चोर घुस आया।
धोबी गहरी नींद में सो रहा था, लेकिन उसका कुत्ता और गधा जाग रहे थे। कुत्ता अपने मालिक को सबक सिखाना चाहता था, क्योंकि वह उसका ख्याल नहीं रखता था। इसलिए वह नहीं भौंका। गधे को चिंता होने लगी और उसने कुत्ते से कहा कि अगर वह नहीं भौंका तो उसे ही कुछ करना होगा। कुत्ते ने अपना मन नहीं बदला तो गधा ही जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे का रेंकना सुनकर चोर भाग गया। धोबी उठा और गधे को बिना वजह रेंकने के लिए पीटने लगा।
कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दूसरे के काम में टांग अड़ाने से, दूसरे के हिस्से का काम करने से कुछ भला नहीं होने वाला। इसलिए अपने में मस्त रहें।
चलिए अब इसी कहानी को दूसरे नजरिए से देखते हैं।
धोबी एक अव्वल दर्जे का मैनेजमेंट-कोर्परेट आदमी था। उसमें चीजों को अलग नजरिए से देखने और अलग सोचने की क्षमता थी। उसे यकीन था कि आधी रात को गधे के रेंकने की जरूर कोई वजह रही होगी। वह घर से थोड़ा बाहर निकला और तथ्यों की जांच-पड़ताल कर उसने पाया कि घर में चोर घुसा था और गधा सिर्फ उसे आगाह करना चाहता था। गधे की पहल और डयूटी से बढ़कर काम करने की ललक को देखते हुए धोबी ने उसे ढेर सारी घास दी और पसंदीदा पालतू जानवर बना लिया।वहीं कुत्ते की जिंदगी में ज्यादा बदलाव नहीं आए सिवाय इसके कि गधा अब और उत्साह से कुत्ते का काम भी करने लगा।
सेलरी बढ़ने के समय पर कुत्ते को 8 मिले और गधे को ९ अंक। जल्द ही कुत्ते को अहसास हुआ कि उसकी सभी जिम्मेदारियां गधे ने संभाल ली हैं और वह अब आराम से समय काट सकता है।
गधे पर अब अच्छा परफॉर्म करने का बोझ बढ़ गया। जल्द ही उस पर ढेर सारा काम आ गया और वह दबाव में रहने लगा। इससे परेशान होकर वह धोबी का घर छोड़ने की सोचने लगा।
कहानी से अब भी वही शिक्षा मिलती है कि दूसरे के काम में टांग अड़ाने से, दूसरे के हिस्से का काम करने से आपका भला नहीं होने वाला। इसलिए अपने में मस्त रहें।
एक रात जब पूरी दुनिया सो रही थी, तभी एक धोबी के घर में एक चोर घुस आया।
धोबी गहरी नींद में सो रहा था, लेकिन उसका कुत्ता और गधा जाग रहे थे। कुत्ता अपने मालिक को सबक सिखाना चाहता था, क्योंकि वह उसका ख्याल नहीं रखता था। इसलिए वह नहीं भौंका। गधे को चिंता होने लगी और उसने कुत्ते से कहा कि अगर वह नहीं भौंका तो उसे ही कुछ करना होगा। कुत्ते ने अपना मन नहीं बदला तो गधा ही जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे का रेंकना सुनकर चोर भाग गया। धोबी उठा और गधे को बिना वजह रेंकने के लिए पीटने लगा।
कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दूसरे के काम में टांग अड़ाने से, दूसरे के हिस्से का काम करने से कुछ भला नहीं होने वाला। इसलिए अपने में मस्त रहें।
चलिए अब इसी कहानी को दूसरे नजरिए से देखते हैं।
धोबी एक अव्वल दर्जे का मैनेजमेंट-कोर्परेट आदमी था। उसमें चीजों को अलग नजरिए से देखने और अलग सोचने की क्षमता थी। उसे यकीन था कि आधी रात को गधे के रेंकने की जरूर कोई वजह रही होगी। वह घर से थोड़ा बाहर निकला और तथ्यों की जांच-पड़ताल कर उसने पाया कि घर में चोर घुसा था और गधा सिर्फ उसे आगाह करना चाहता था। गधे की पहल और डयूटी से बढ़कर काम करने की ललक को देखते हुए धोबी ने उसे ढेर सारी घास दी और पसंदीदा पालतू जानवर बना लिया।वहीं कुत्ते की जिंदगी में ज्यादा बदलाव नहीं आए सिवाय इसके कि गधा अब और उत्साह से कुत्ते का काम भी करने लगा।
सेलरी बढ़ने के समय पर कुत्ते को 8 मिले और गधे को ९ अंक। जल्द ही कुत्ते को अहसास हुआ कि उसकी सभी जिम्मेदारियां गधे ने संभाल ली हैं और वह अब आराम से समय काट सकता है।
गधे पर अब अच्छा परफॉर्म करने का बोझ बढ़ गया। जल्द ही उस पर ढेर सारा काम आ गया और वह दबाव में रहने लगा। इससे परेशान होकर वह धोबी का घर छोड़ने की सोचने लगा।
कहानी से अब भी वही शिक्षा मिलती है कि दूसरे के काम में टांग अड़ाने से, दूसरे के हिस्से का काम करने से आपका भला नहीं होने वाला। इसलिए अपने में मस्त रहें।
#398 | Social (सामाजिक)
पुरे इंडिया में मोबइल कम्पनी को 2000 करोड़ रूपये का घाटा मेहँदी लगी होने के कारन सभी औरतों ने 4 घण्टे मोबाईल का व्हाट्सएप्प का त्याग किआ
#387 | Social (सामाजिक)
जब आप भारत की राजधानी दिल्ली में अगर कभी घूमने आएँ तब आपको पता चलेगा कि आप 'शाहजहां' रोड़ से निकलकर 'अकबर' रोड़ पर पहुँच जायेंगे |
आगे जाकर 'बाबर' रोड़ पर मुड जायेंगे |
फिर 'हुमायं' रोड़ पर सीधे चले जाइयेगा |
गोल चक्कर मिलेगा जहाँ से आप 'तुगलक' लेन में घुस जायेंगे |
'औरंगजेब' रोड़ पर आगे बढीयेगा | 'सफदरजंग' रोड़ आ जाएगी , |
इसके बाद तुगलाकबाद एवं जामिया नगर होते हुए कुतुबमीनार तक जाइए....
और जब इस सूफियाने माहौल में दम घुटने लगे तो 'सराय कालेखाँ' होते हुए 'निजामुद्दीन' रेलवे स्टेशन से अपने शहर की रेलगाड़ी में बैठिएगा और घर वापस आ जाइयेगा और घर बैठ कर सोचते रहिये...............दिल्ली भारत की राजधानी है या पाकिस्तान की ?
आगे जाकर 'बाबर' रोड़ पर मुड जायेंगे |
फिर 'हुमायं' रोड़ पर सीधे चले जाइयेगा |
गोल चक्कर मिलेगा जहाँ से आप 'तुगलक' लेन में घुस जायेंगे |
'औरंगजेब' रोड़ पर आगे बढीयेगा | 'सफदरजंग' रोड़ आ जाएगी , |
इसके बाद तुगलाकबाद एवं जामिया नगर होते हुए कुतुबमीनार तक जाइए....
और जब इस सूफियाने माहौल में दम घुटने लगे तो 'सराय कालेखाँ' होते हुए 'निजामुद्दीन' रेलवे स्टेशन से अपने शहर की रेलगाड़ी में बैठिएगा और घर वापस आ जाइयेगा और घर बैठ कर सोचते रहिये...............दिल्ली भारत की राजधानी है या पाकिस्तान की ?
#364 | Social (सामाजिक)
एक दिन डिस्कवरी पर
जेनेटिक बीमारियों से
सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था
उस प्रोग्राम में
एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की
जेनेटिक बीमारी न हो
=============
इसका एक ही इलाज है
==============
और वो है
'सेपरेशन ऑफ़ जींस'
=============
मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में
विवाह नही करना चाहिए
क्योकि
नजदीकी रिश्तेदारों में
जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता
और
जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे
हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने की
100% चांस होती है ..
फिर बहुत ख़ुशी हुई
जब उसी कार्यक्रम में
ये दिखाया गया की
आखिर
जेनेटिक बीमारियों से
सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था
उस प्रोग्राम में
एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की
जेनेटिक बीमारी न हो
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इसका एक ही इलाज है
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और वो है
'सेपरेशन ऑफ़ जींस'
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मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में
विवाह नही करना चाहिए
क्योकि
नजदीकी रिश्तेदारों में
जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता
और
जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे
हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने की
100% चांस होती है ..
फिर बहुत ख़ुशी हुई
जब उसी कार्यक्रम में
ये दिखाया गया की
आखिर
#340 | Social (सामाजिक)
CIGARETTE:
A pinch of tobacco
Rolled in paper
With fire at one end
And a fool at the other
A pinch of tobacco
Rolled in paper
With fire at one end
And a fool at the other
#333 | Social (सामाजिक)
ज़िंदगी में आप कितने भी आगे निकल जाएँ , फिर भी सैकड़ों लोगों से पीछे ही रहेंगे।
ज़िंदगी में आप कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे ही होगें।
अपनी जगह का लुत्फ़ उठाएँ,
आगे पीछे तो दुनिया में चलता ही रहेगा ।
ज़िंदगी में आप कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे ही होगें।
अपनी जगह का लुत्फ़ उठाएँ,
आगे पीछे तो दुनिया में चलता ही रहेगा ।
#306 | Social (सामाजिक)
आज म्हारै स्कूल म # टीचर
प्रस्ताव पढावै थै।
न्यु बोले- बच्चो, अगर # लङकी नहीं बचाओगें, तो
# बहु कहां से ल्याओगे।
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एक बोल्या- जी # UP त।
प्रस्ताव पढावै थै।
न्यु बोले- बच्चो, अगर # लङकी नहीं बचाओगें, तो
# बहु कहां से ल्याओगे।
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एक बोल्या- जी # UP त।
#284 | Social (सामाजिक)
ये लड़कियाँ भी ना
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ये सिर्फ आपका ध्यान खिँचने के लिए था
कृप्या सड़क पर कचरा ना फेँके
उसके लिए dustbin का प्रयोँग करेँ😝😝😜😜😜😜😜😜👏🚬
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ये सिर्फ आपका ध्यान खिँचने के लिए था
कृप्या सड़क पर कचरा ना फेँके
उसके लिए dustbin का प्रयोँग करेँ😝😝😜😜😜😜😜😜👏🚬
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