हर जुबा पे है छाई ये कहानी।
आई बसंत की ये ऋतू मस्तानी।।
दिल को छू जाये मस्त झोका पवन का।
मीठी धूप में निखर जाए रंग बदन का।।
गाये बुजुर्गो की टोली जुबानी।
आई बसंत की ये ऋतू मस्तानी।।
झूमें पंछी कोयल गाये।
सूरज की किरणे हँसती जमी नहलाये।।
लागे दोनों पहर की समां रूहानी।
आई बसंत की ये ऋतू मस्तानी।।
टिमटिमायें ख़ुशी से रातों में तारे।
पिली फसलों को नहलाये दूधिया उजाले।।
गाते जाए सब डगर पुरानी।
आई बसंत की ये ऋतू मस्तानी।।