ईश्वर के बाद किसी से आशा रखी जाती है वह है डॉक्टर
भगवान का नाम बाद में पहले डॉक्टर याद आता है
कुछ हुआ तो बडी उम्मीद के साथ उसके पास
उसका केवल यह कहना कि चिन्ता की कोई बात नहीं
मन को सुकून मिल जाता है
आधी बीमारी भाग जाती है
प्रसव से लेकर मृत्यु तक साथ निभाने वाला
नन्हें दूधमुँहे बच्चे को भी उसके इलाज पर छोडकर निश्चिंत
यहॉ सब कोई बराबर होता है
न कोई अमीर न कोई गरीब
न जॉत- पात न धर्म का बंधन
अपनी जीवन की डोर उस पर सौंपते हैं
रात हो या दिन हर वक्त इलाज को तत्पर
दंगा – फसाद हो या दुर्घटना
लाइलाज बीमारी हो या सर्दी – जुखाम
और वह भी अपने पुरी ताकत और ज्ञान के साथ
अगर अच्छा हो जाय तो तमाम दुआए मिलती है
हर शख्स धन्यवाद देता है
चेहरे खिल उठते हैं
पर अगर वह सफल न हुआ तो तोड- फोड शुरु हो जाती है.
वह ईश्वर तो नहीं है वह भी जब ऑपरेशन करता होगा तो कामना करता होगा कि उसके हाथ कॉपे नहीं
तभी तो कहता है ऑपरेशन सफल है आगे ऊपर वाले के हाथ में है
जीवन बचाने वाले का धन्यवाद तो करना ही चाहिए
न सफल कोशिश तो की.
डॉक्टर का सम्मान करना सभी की जिम्मेदारी है
आखिर उसके भरोसे तो हम है
ऊपर वाला तो नहीं आ सकता तभी तो उसने अपने प्रतिनिधी के रूप मे उसे भेजा है
पर यह भी सच है कि डॉक्टर अपने पेेशे को पैसा उगलने की मशीन समझ बैैठे है