Poem On Farmer in Theme Poetry - Posts - PartyStuff

Poem On Farmer

Mon December 14, 2015 by Kunal Bansal
po1896
माना गरीब हूं मैं बेटा किसान का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का

मेरे घर नहीं तिजोरी
कपड़े हैं एक जोड़ी
लेने को पेन-कॉपी
नहीं है फूटी-कौड़ी

कमजोर बना घर है टूटा हुआ छप्पर है
मजबूत चौखट प्रेम की पर लगी मेरे दर है

खजाना भरा है,
विचारों की शान का
मैं ही बनूंगा गौरव
भारत महान का

अभावों में मैं पला हूं भूख से भी मैं जला हूं
लेकिन ये पाई प्रेरणा सत्यपथ से न टला हूं।

न अंग्रेजी सीख पाया
न जीन्स-ट्राऊजर में मचलना
सीखा है मगर मैंने
सिद्धांतों पर चलना

बनूंगा मैं हिन्द का रखवाला आन का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का
classification
category: Theme Poetry
this post
code: po1896
bookmark: