Poem On Independence Day
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी ,
आजादी के नव उद्घोष पे ,
सबने वीरो की गाथा गायी ,
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की ,
ध्वनि चारो और है छायी ,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई ||
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी ,
और अद्भुत माँ न हमने पायी ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की ,
एक एक बूँद समायी .
माथे पर है बांधे कफ़न ,
और तेरी रक्षा की कसम है खायी ,
सरहद पे खड़े रहकर ,
आजादी की रीत निभाई
code: po1002
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