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Poem On Rabbit

Sat January 6, 2018 by Kunal Bansal
po2650
कितना प्यारा कितना भोला
जैसे हो रूई का गोला ,
चाहा इससे बात करें हम
पर मुँह से यह कुछ ना बोला।

लम्बे लम्बे कान खड़े हैं
हीरे जैसे आँख जड़े हैं,
चलते हैं ये फुदक फुदक कर
पर फुर्तीले बहुत बड़े हैं।

ढका मुलायम बालों से तन
घास पात ही इनका भोजन,
बिल्ली कुत्ते से डर लगता
छुप छुप कर जीते हैं जीवन।

बच्चे इनको हैं दुलराते
उठा गोद में प्यार जताते,
नहीं काटते कभी किसी को
इसीलिए ये सबको भाते।

है खरगोश जीव अति सुन्दर
जंगल हैं इनके असली घर,
ना पकड़ें ना मारें इनको
खेलें कूदें ये भी जी भर।
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category: Theme Poetry
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